हरि : शरणम्- : एक विहंगम दृष्टि
दिव्य प्रेरणा स्रोत - स्व. रामदेव शर्मा स्व. सावित्री शर्मा
देवभूमि उत्तराखण्ड की पावन धरा पर दिल्ली–हरिद्वार राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित बेलड़ा ग्राम के प्रवेश द्वार पर हरीतिमा से आच्छादित सुरम्य खेतों के मध्य जन्माष्टमी 2008 को हरिः शरणम् आश्रम का शुभारम्भ हुआ है, जो विद्या नगरी रुड़की से 6 किलोमीटर तथा पुण्य तीर्थस्थली हरिद्वार से 24 किलोमीटर पर 52000 वर्ग फीट के क्षेत्र मे घिरा हुआ है। हरि : शरणम् आर0डी0 शर्मा चेरिटेबल ट्रस्ट, गुवाहाटी(असम) का सेवा संस्थान है। ट्रस्ट की स्थापना 21 नवम्बर, 2000 को गुवाहाटी मे ट्रस्ट के संस्थापक एवं मुख्य ट्रस्टी श्री दीनदयाल शर्मा ने अपने पिता स्व॰ आर0डी0 शर्मा की पुण्य स्मृति मे की जिसके द्वारा अनेक जनहितकारी कार्य सम्पन्न हुये हैं।ट्रस्ट द्वारा वर्ष 2002 से एक निशुल्क होमियोपेथी चिकित्सालय का संचालन भी किया जा रहा है ।
ट्रस्ट के मुख्य उद्देश्यों मे समाज के सभी वर्गो को आर्थिक, सामाजिक, शैक्षिक , आध्यात्मिक एवं स्वास्थ्य संबंधी क्षेत्रों मे यथासंम्भव सहायता प्रदान करना है। इन्हीं उद्देश्यों की पूर्ति के लिए अप्रैल 2006 मे गंगा मैया की गोद मे बसे हरिद्वार जनपद के बेलड़ा ग्राम मे 7.5 बीघा भूमि का अधिग्रहण किया गया है जहाँ हरि: शरणम् आश्रम की प्रतिष्ठापना हुई है।
सच्चिदानंद धाम
आश्रम परिसर में ठाकुर जी का मंदिर ‘सच्चिदानन्द धाम ’ है जिसमे भगवान के विश्व रूप दर्शन श्री विग्रह की मूर्ति है । यह दिव्य चिन्मय स्वरूप भगवान श्री क़ृष्ण ने अपने सखा धनुर्धर अर्जुन को महाभारत युद्ध के आरंभ होने की पूर्व बेला मे दिखलाया था । विश्व में मंदिर के रूप मे इस विग्रह की प्राण – प्रतिष्ठा , आरती –उपासना हरि: शरणम् आश्रम के अतिरिक्त अन्य किसी स्थान पर देखने – सुनने – जानने में नहीं आयी है । ब्रहमलीन परंश्रध्देय स्वामी रामसुखदास जी महाराज की दिव्यवाणी से नि:स्रत गीता के श्लोकों से नित्य-प्रति 4.30 बजे मंदिर परिसर मे गतिविधि आरंभ हो जाती है । पाँच बजे स्वामी जी महाराज द्वारा की जाने वाली नित्य स्तुति से ठाकुर जी की आरती होती है । गीता , भागवत ,रामायण एवं संत वाणी पाठ के साथ प्रात: कालीन सत्र सम्पन्न होता है। रात्रि आठ बजे तक संकीर्तन-सत्संग-प्रवचन आदि कार्यक्रम चलते रहते हैं।
आवासीय व्यवस्था
आश्रम में आधुनिक सुविधाओं से युक्त कुल 20 कमरे हैं जिनमे साधकों को नि:शुल्क आवास व्यवस्था प्रदान की जाती है । एक रसोई गृह ‘नैवेद्य’ है जिसमे शुद्ध – सात्विक प्रसाद तैयार होता है जिसे ठाकुर जी को भोग लगा कर साथ के बड़े कक्ष में आश्रमवासियों एवं आगंतुक साधकों को नि:शुल्क परोसा जाता है।