आचार्य जी

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संस्था के आचार्य श्री गोविंद राम शर्मा का संक्षिप्त परिचय

महान व्यक्तित्व के धनी आचार्य श्री गोविंद राम शर्मा का जन्म अक्षय नवमी के दिन 1 नवम्बर , 1948 को राजस्थान प्रांत के चुरू जिले के सुजानगढ़ नगर में ब्राह्मण परिवार में पिता स्व. डूंगरमल शर्मा एवं माता स्व. कमला देवी शर्मा के यहाँ हुआ । आपकी आरंभ से ही शिक्षा के क्षेत्र में विशेष रुचि रही जिसके फलस्वरूप आपने हिन्दी में स्नातकोत्तर की उपाधि जोधपुर विश्वविद्यालय से प्राप्त की। आपने अपना कर्म क्षेत्र असम प्रांत को चुना जहाँ सन 1973 से 1983 तक आपने व्याख्याता के रूप मे गुवाहाटी कॉमर्स कॉलेज , गुवाहाटी में अपनी सेवाएं दी । इसी बीच आपका झुकाव कानून की ओर हुआ तथा आपने सन 1975 में गुवाहाटी विश्व विद्यालय से कानून की स्नातक की उपाधि प्राप्त की।
सन 1976 से आपने अधिवक्ता के रूप में पंजीकरण लेकर वकालत का अभ्यास किया जिसे आप सन 2008 के जून माह तक करते रहे । आचार्य श्री गोविंद राम शर्मा बहुमुखी प्रतिभा के धनी रहे है। आपने समाज सेवा के क्षेत्र मे शिक्षण संस्थान , अस्पताल , बैंक, पुस्तकालय , रोटरी क्लब एवं अन्य क्षेत्रीय सेवा संस्थानों मे मानद कुशल नेतृत्व प्रदान किया है ।
आपका विवाह राजस्थान के चुरू जिले के सालासर धाम के निवासी स्व. राम कृष्ण शर्मा एवं श्री मती नर्मदा शर्मा की पुत्री राधा के साथ अक्षय तृतीया 19 मई , 1967 को हुआ जिससे आपको दो पुत्र एवं एक पुत्री रत्त्न की प्राप्ति हुई। श्री मती राधा शर्मा धर्म परायण महिला हैं जिन्होने आपको सदैव अध्यात्म मार्ग पर प्रेरित एवं प्रोत्साहित किया है। आचार्य श्री गोविंद राम शर्मा बाल्यकाल से ही अध्यात्म , धर्म , दर्शन की ओर आकृष्ट रहे है । आपने वेद , उपनिषद , पुराण , गीता, श्री मद्भागवत , श्री रामचरित मानस एवं अन्य ज्ञान , वेदान्त एवं भक्ति के ग्रंथो का गहन अध्ययन किया है । आपने प्राय: शीर्षस्थ सभी संतो का सान्निध्य लाभ लिया है तथा उनके प्रवचनों का पठन-श्रवण-मनन किया है । चिन्मय मिशन , राम कृष्ण मिशन , विवेकानन्द केंद्र , इस्कॉन आदि आध्यात्मिक संस्थाओं की गतिविधियों में आप सक्रिय रूप से भाग लेते रहे हैं। आचार्य श्री के जीवन में आध्यात्मिकता ने सन 1995 मे मोड़ लिया जब ब्रहमनिष्ठ परम श्र्ध्देय स्वामी राम सुख दास जी महाराज गुवाहाटी में पधारे । उनके ब्रह्मनिष्ठ व्यक्तित्व से आप पहले से ही परिचित थे तथा इससे पहले भी आप उनके दर्शनों से लाभान्वित हुये थे । स्वामी जी की प्रमुख विशेषता यह थी की वे प्रातः 5 बजे जहाँ भी रहते थे नित्य प्रार्थना करवाते थे जो मुख्यत: श्री मदभगवद् गीता के ग्यारहवें अध्याय के श्लोकों से संकलित भगवान के विश्व रूप दर्शन पर आधारित थी । दिसंबर 1995 में जब स्वामी जी का आसाम माहेश्वरी भवन , गुवाहाटी में प्रवास था तब प्रातः काल की नित्य प्रार्थना भवन में ही होती थी तथा अन्य प्रवचन गुवाहाटी गौशाला में होते थे ।
स्वामी जी के गुवाहाटी कार्यक्रम के पश्चात भी प्रातः कालीन 5 बजे वाली नित्य प्रार्थना आसाम माहेश्वरी भवन में होती रही । माहेश्वरी युवा संगठन , गुवाहाटी के अंतर्गत एक महेश योग समिति , गुवाहाटी का गठन किया गया तथा इस प्रातः कालीन प्रार्थना के तुरंत बाद विवेकानन्द केंद्र , गुवाहाटी के प्रशिक्षित योग प्रशिक्षकों द्वारा योग का अभ्यास सीख कर प्रार्थना के साथ साथ योग का नियमित कार्यक्रम भी जोड़ दिया गया। जिसकी मुख्य बागडोर आचार्य श्री गोविंद राम शर्मा के हाथ रही। प्रार्थना , योग एवं अध्यात्म की उस समय जो त्रिवेणी बही वह आज भी अबाध गति से जन मानस को पावन कर रही है । अगस्त , 2008 में आचार्य श्री गोविंद राम शर्मा ने हरि: शरणम आश्रम मे सच्चिदानंद धाम की प्राण-प्रतिष्ठा कारवाई तथा तब से सैकड़ो साधक यहाँ सत्संग – प्रवचन एवं योग का लाभ ले रहे है । आचार्य श्री की कर्तव्य निष्ठा , आत्म साक्षात्कार तथा प्रभु से अनन्य प्रीति का ही वरदान है की यह संस्थान सेवा , त्याग एवं प्रेम के सिद्धांतों पर चलते हुए साधकों का चरित्र गठन कर रहा है, सुंदर समाज का निर्माण कर रहा है तथा धर्म , अर्थ , काम एवं मोक्ष की समुचित व्याख्या करते हुए साधकों की पारमार्थिक उन्नति कर रहा है। ब्रहमलीन परम श्रद्धेय श्री जयदयाल जी गोयंदका , नित्य लीलालीन श्रद्धेय भाई जी श्री हनुमान प्रसाद जी पोद्दार , ब्रहमलीन श्रद्धेय स्वामी श्री राम सुख दास जी महाराज एवं गीताप्रेस , गोरखपुर के साहित्य से अनुप्राणित एवं पूज्यपाद स्वामी शरणानंद जी महाराज , वृंदावन की दिव्य अमृतवाणी से सिंचित यह संस्थान मानव मात्र के कल्याण की दिशा में एक विनम्र प्रयास है।

हरि : शरणम्- : एक विहंगम दृष्टि

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